रामलला के ससुराल से अयोध्या भेजे गए 251 भार; सोने-चांदी के बर्तन, कपड़े समेत 125 गिफ्ट

12 जनवरी को अयोध्या तीर्थ में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए वैशाली जिले के पातेपुर स्थित श्रीराम-जानकी मठ से 251 भार का भेजा गया। मां जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी से भार पहुंचा, जहां ससुराल के लोग नवीन गृह प्रवेश के दौरान भार के रूप में मिष्ठान आदि भेजते हैं। इस परंपरा का निर्वहन किया गया।

प्रतिष्ठा के लिए 251 भार में वस्त्र, आभूषण, मिठाई, अनाज, फल, पकवान, आदि की 125 प्रकार की वस्तुओं को अयोध्या तीर्थ में ले जाया गया। महंथ विश्वमोहन दास ने भार पहुंचाया, और 20 जनवरी को अयोध्या रवाना हुआ।

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251 loads sent from Ramlala's in-laws house to Ayodhya; 125 gifts including gold and silver utensils, clothes
251 loads sent from Ramlala’s in-laws house to Ayodhya 125 gifts including gold and silver utensils, clothes

बाबा विश्वमोहन दास ने बताया कि मिथिला संस्कृति के अनुसार शुभ कार्यक्रम में होने वाली परंपरा का निर्वहन हुआ।

इस मौके पर सोना-चांदी, कांसा के बर्तन, फल, अनाज, पकवान, दही, पान, मखान, मशाला, आलू, नमक, और शृंगार सामग्री के साथ भार भेजा गया। पातेपुर महंत बाबा विश्वमोहन दास ने बताया कि भगवान श्रीराम को मिथलांचलवासी दामाद के रूप में मानते हैं।

मिथला संस्कृति के अनुसार बेटी के ससुराल में शुभ कार्य होता है, और इस अवसर पर कुछ संदेश नहिहर से भेजा जाता है। इसी परंपरा के अनुसार मिथलांचल से अयोध्या के लिए भार भेजा गया था। 22 जनवरी को अयोध्या तीर्थ क्षेत्र में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन होगा।

जगह कम पड़ गई

मां जानकी के धाम से आए उपहार कारसेवकपुरम के जिस कक्ष में रखे जा रहे थे, उसमें जगह कम पड़ गई। ये देख माता के मायके से आए लोग हंसने लगे। वहीं पांच ट्रकों में रखी सामग्री उतारने के लिए भी लोग कम थे। इसपर वहां से आए भक्त ही अपने सिर पर रखकर सामान कक्ष तक पहुंचाने लगे।

भव्य झांकियों के साथ निकली शोभायात्रा, गूंजता रहा जय श्रीराम

रामलला के प्राकट्योत्सव के अवसर पर रविवार को भव्य शोभायात्रा निकाली गई। क्षीरेश्वरनाथ के पास रामजन्मभूमि के प्रवेश द्वार के सामने कलश पूजन हुआ। इसके बाद बैड-बाजे, रथ पर सवार भगवान के स्वरूपों से सजी झांकी निकली तो हर कोई दर्शन को उमड़ पड़ा।

शोभायात्रा पर भक्तों ने जगह-जगह पुष्पवर्षा की। शोभायात्रा में साधु-संतों समेत वैदिक छात्र व सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल रहे। रामकोट की परिक्रमा के बाद शोभायात्रा का समापन हुआ।

1949 में पौष मास की तृतीया को भगवान रामलला राम जन्मभूमि में प्रकट हुए थे। तब से श्रीरामजन्मभूमि सेवा समिति लगातार रामलला का प्राकट्योत्सव मनाती चली आ रही है।

इसी क्रम में इस वर्ष भी 12 जनवरी को पूजित कलश रामजन्मभूमि के पुजारी को सौंपा गया। रविवार को पूजित कलश वापस लाकर भव्य शोभायात्रा निकाली गई।

शोभायात्रा में विभिन्न रथों पर भगवान सीताराम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुह्न, हनुमान, शंकर व गणेश के स्वरूपों की सजी झांकी भक्तों के आकर्षण का केंद्र रही।

हनुमान गढ़ी का निशान भी शोभायात्रा की शोभा बढ़ाता नजर आया। संयोजक अच्युत शंकर शुक्ला ने बताया कि शोभायात्रा में पूर्व सांसद डॉ़ रामविलास दास वेदांती, डॉ़ राघवेश दास वेदांती, महंत जयरामदास, डॉ़ सत्येंद्र दास वेदांती, महंत राघव दास, महंत उद्धव शरण, समिति के संजय शुक्ला, शक्ति सिंह आदि शामिल रहे।